Sorry, you need to enable JavaScript to visit this website.

श्रीमती ममता कुमारी

Designation: 

Duration for Designation: 

Friday, March 10, 2023

श्रीमती ममता कुमारी जी ने 10 मार्च 2023 को राष्ट्रीय महिला आयोग के सदस्य के रूप में पद्-भार ग्रहण किया। इन्हें विभिन्न क्षेत्रों में काम करने का एक लम्बा अनुभव है। श्री मति ममता बाल्यकाल से ही आधी आबादी की आजादी और अधिकार की लड़ाई पड़ाव-दर पड़ाव लड़ रही हैं। यहाँ तक कि अपनी शिक्षा के लिए इन्होंने अपने परिवार में भी संघर्ष किया। झारखण्ड के संथाल परगना प्रमण्डल में गोड्डा जिला के पोडैयाहाट प्रखण्ड के पोड़ै‌याहाट गाँव में जन्म लेने वाली यह लड़की अन्धविश्वास, गरीबी और अशिक्षा के विरुद्ध जूझती रही है। समाज शास्त्र में स्नातक इस संघर्षशील छात्रा ने अपनी सारी शिक्षा सरकारी शिक्षण संस्थानों में प्राप्त की। यह 9वीं कक्षा से ही ट्यूशन पढ़ा कर अपनी शिक्षा प्राप्त कर  स्वावलम्बन एक नई कहानी लिखी। इन्हें कभी नई किताब नसीब नहीं हुई। एक भरे-पूरे परिवार की इस शिक्षित लड़‌की ने अन्तरजातीय शादी कर समाज में समरसता लाने की कोशिश की। आगे यह समरसता मंच से ही जुड़ गई। एक शिक्षिका के रूप में इन्होंने कई संस्थानों में अपना योगदान दिया। अपती कोशिशों की दम पर इन्होंने वीणा भारती आवासीय विद्यालय और जनार्दन भाई शिक्षण संस्थान की स्थापना कर गरीब, आदिवासी, एवं पिछड़े परिवार के बच्चे और महिलाओं को शिक्षण क्षेत्र में आकर्षित कर उन्हें आधुनिक शिक्षा प्रदान करने के लिए निरन्तर प्रयास किया

 श्रीमती ममता जी को पर्यावरण संरक्षण से अति-प्यार होने के कारण इनके अपने क्षेत्र में लगाये गये करीब तीस हजार फलदार वृक्ष इसके पवित्र प्रमाण हैं। आयोग की सदस्यता ग्रहण करने के पूर्व ये एक प्रतिष्ठित सरकारी शिक्षिका थी। कोरोना काल में दूरस्थ प्रवासियों को उनकी मंजिल तक पहुँचाने का अप्रतिम कार्य भी इन्होंने सहज भाव से किया। बाढ़ पीड़ितों के लिए संघर्ष तो इनकी आदत बन गई है। क्षेत्रीय समाज कोविड काल में इनके द्वारा किये गये कार्यों की प्रशंसा अन्तर्मन से करता है। प्रभावित लोगों की चिकित्सा व्यवस्था, उनके लिये खाद्य सामग्री की का इन्तजाम इन्होंने जी-आन से की।

आयोग की एक महती सदस्या के रूप में इन्होंने विभिन्न राज्यों की महिलाओं की स्थिति एवं परिस्थिति का अध्ययन किया। राष्ट्रीय सीमा क्षेत्रों में, जेल के अन्दर, अस्पतालों और वृद्धा आश्रम में रह रही महिलाओं की पीड़ा को समझते हुए इन्होंने एक विस्तृत रिपोर्ट आयोग को समर्पित किया है। दहेज हत्या, लिंग-भेद, एसिड अटैक, बलात्कार, यौन-प्रताड़ना जैसी दुखद घटनाओं पर आये आवेदनों - शिकायतों का अध्ययन कर उन्हें न्याय दिलाने के मार्गो में सहयोगी बन कर साथ दिया। जन सुनवाई कर भी ये समस्याओं का त्वरित निष्पादन करने का सफल प्रयास करती हैं।

महिलाओं को  पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक या फिर उससे भी आगे बढ़ाने के लिए यह रास्ते में आयी वाधाओं का अध्ययन कर आयोग के समक्ष प्रस्तुत करने का असाध्य कार्य करती हैं। आज भी वृक्षारोपण, जैविकी खाद उत्पादन का प्रशिक्षण एवं आवश्यकता एवं और समयानुसार नेतृत्व प्रदान कर समाज के समतावर्धन का कार्य निरतंर करने का प्रयास करती हैं। महिलाओं को सबल बनाना, इन्हें आवश्यक कानूनी सलाह देना और उनकी आवाज बन कर उन्हें शक्ति प्रदान करना ही इनका परम लक्ष्य है।