सुश्री डेलिना खोंगडुप
सुश्री डेलिना खोंगडुप का जन्म और पालन-पोषण मेघालय के पूर्वी खासी हिल्स जिले के पिनुरस्ला ब्लॉक के लिंडेम गाँव में हुआ था। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा डीसीएलपी (सरकारी) स्कूल लिंडेम से और 10वीं तथा 10+2 की शिक्षा क्रमशः सीएचएमई सोसायटी, विद्या प्रबोधिनी प्रशाला, नासिक एवं भोंसला मिलिट्री कॉलेज, नासिक, महाराष्ट्र से प्राप्त की। उन्होंने स्नातक की उपाधि डेक्कन एजुकेशन सोसायटी, डीईएस लॉ कॉलेज, पुणे विश्वविद्यालय से प्राप्त की तथा स्नातकोत्तर की उपाधि न्यू लॉ कॉलेज, पुणे, भारती विद्यापीठ, डीम्ड यूनिवर्सिटी, पुणे से प्राप्त की। सुश्री खोंगडुप ने मेघालय के पूर्वी खासी हिल्स जिले के लिंडेम गाँव में नव-उन्नत उच्च प्राथमिक विद्यालय, जिंगकिएंग क्सीयर में प्रधानाध्यापिका का पद संभाला। उन्होंने स्वदेशी खासी जनजातीय समुदाय के अधिकारों एवं परम्परागत प्रथाओं की रक्षा करने के लिए संविधान की छठी अनुसूची के अन्तर्गत स्थापित खासी हिल्स स्वायत्त जिला परिषद (केएचएडीसी) सहित मेघालय की अदालतों में वकालत की। वह विधिक सहायता अधिवक्ता (एलएसी) के रूप में मेघालय राज्य विधिक सेवा प्राधिकारण (एमएसएलएसए) की एक सक्रिय सदस्य है और उनको पिनुरस्ला और मावफलांग सी एंड आर डी ब्लॉक के लिए एमएसएलएसए के अन्तर्गत संरक्षण अधिकारी (पीओ) के रूप में नियुक्त किया गया था। सुश्री खोंगडुप एक प्रशिक्षक एवं प्रशिक्षित विशेषज्ञ व्यक्ति के रूप में मेघालय प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थान (एमएटीआई) से भी संबद्ध हैं। इसके अतिरिक्त, वे एसोर्फी एजुकेशन सोसाइटी, पिनुरस्ला की संस्थापक सदस्य एवं सहायक निदेशक भी हैं तथा उन्होंने क्षेत्र में पहली एवं एकमात्र विज्ञान अकादमी स्थापित की थी।
सामाजिक कार्य
सुश्री खोंगडुप नागरिकों के मूलभूत मानवाधिकारों की एक सशक्त अधिवक्ता हैं और वे अपने गाँव में एक स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) संचालित करती हैं जिससे कि लोगों को सूचना प्रौद्योगिकी एवं कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) की सेवाएँ सुगमता से उपलब्ध हो सके। वे पिनुरस्ला ब्लॉक में कई महिला संगठनों की एक निःशुल्क विधिक सलाहकार हैं और स्वदेशी आस्था संगठन सेंग खासी की एक सक्रिय सदस्य हैं जिसका उद्देश्य खासी लोगों की पारंपरिक प्रथाओं की रक्षा करना तथा उनका प्रचार एवं उनकी सुरक्षा करना है। इसके अतिरिक्त, वे सेवा भारती मेघालय एवं विद्या भारती मेघालय जैसे विभिन्न सामाजिक संगठनों से भी संबद्ध हैं। उन्होंने नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) द्वारा आयोजित “जनजातीय अनुसंधान - पहचान, अधिकार एवं विकास” विषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला में भी भाग लिया।
शिक्षा, अपने अधिकारों एवं अवसरों के संबंध में जागरूकता का अभाव तथा निर्धनता के कारण महिलाएँ पिछड़ गई हैं और भेदभाव का शिकार हो चुकी हैं। सुश्री खोंगडुप का अंततोगत्वा उद्देश्य महिलाओं को उनके अधिकारों एवं मूलभूत मानवाधिकारों के संबंध में जागरूक करके उनको सशक्त बनाना है। उनका यह मानना है कि महिलाओं को अपने संवैधानिक, सामाजिक तथा विधिक अधिकारों के संबंध में अवश्य जागरूक होना चाहिए।
महिलाओं में कौशल विकास को बढ़ावा देने एवं उनको आत्मनिर्भर बनाने के लिए सुश्री खोंगडुप ने प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) के अन्तर्गत शिलांग स्थित शुभम चैरिटेबल एसोसिएशन नामक एनजीओ के सहयोग से पिनुरस्ला में महिलाओं के लिए एक प्रशिक्षण केंद्र प्रारंभ किया। यह केंद्र महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई, कंप्यूटर, हस्तशिल्प, बांस की कारीगरी एवं अन्य कईं विधाओं में भी प्रशिक्षित करता है। महामारी के दौरान, इस प्रशिक्षण केंद्र में सिले गए मास्क समाज के विभिन्न वर्गों को निःशुल्क वितरित किए गए। अब यह केंद्र जन शिक्षण संस्थान (जेएसएस) मेघालय के साथ सहभागिता में संचालित किया जा रहा है।
सुश्री खोंगडुप ग्रामीण स्तर पर विभिन्न गैर सरकारी संगठनों एवं महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) से संबद्ध हैं। वे ग्रामीण क्षेत्रों में विवाह, तलाक, भरण-पोषण तथा जन्म एवं मृत्यु प्रमाण-पत्रों के पंजीकरण से संबंधित मामलों के संबंध में महिलाओं एवं अन्य लोगों को निःशुल्क विधिक परामर्श प्रदान करती हैं। इसके अतिरिक्त, वे एक ऐसे गाँव में स्कूल संचालित करती हैं, जहाँ पहले कोई शैक्षणिक सुविधा उपलब्ध नहीं थी।
सुश्री खोंगडुप ने हिंदू, नियाम खासी, नियाम ट्रे एवं सोंगसारेक (स्वदेशी धर्म के अनुयायी) को अल्पसंख्यकों के रूप में मान्यता प्रदान करने के लिए उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की है जिससे कि वे ईसाई बहुल राज्य मेघालय में अल्पसंख्यकों के लिए उपलब्ध विभिन्न लाभों एवं नीतियों का लाभ उठा सकें।
उनकी इच्छा समाज में वंचित एवं कमज़ोर लोगों का उत्थान करना है। वे ज़मीनी स्तर से लेकर उच्च स्तर तक कंधे से कंधा मिलाकर काम करती हैं तथा लोगों को सशक्त बनाने, उनको शिक्षा प्रदान करने एवं उनके अधिकारों के लिए लड़ने तथा खड़े होने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। सुश्री खोंगडुप ने 1 मार्च, 2023 को राष्ट्रीय महिला आयोग के सदस्य का कार्यभार संभाला।