Sorry, you need to enable JavaScript to visit this website.

महिलाओं एवं बच्चों के प्रति साइबर अपराध निवारण (सी.सी.पी.डब्ल्यू.सी.)

गृह मंत्रालय ने अंतरालों और चुनौतियों का अध्ययन करने, देश में साइबर अपराध से प्रभावी रूप से निपटने के लिए एक दिशानिर्देश तैयार करने और महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराध के निवारण के लिए प्रभावी उपाय करने हेतु उपयुक्त सिफारिशें करने तथा समाज में इन मुद्दों के बारे में जागरुकता पैदा करने के लिए एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया था, जिसमें एन.एस.सी.एस., गृह मंत्रालय, सीडैक, सर्ट-इन, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, भारतीय विज्ञान संस्थान और सूचना प्रौद्योगिकी के विशेषज्ञ शामिल थे । तदनुसार, गृह मंत्रालय द्वारा महिलाओं और बच्चों के प्रति साइबर अपराध के निवारण के लिए एक स्कीम विरचित की गई । राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा प्रस्तावित स्कीम की परीक्षा की गई ।

आयोग द्वारा प्रस्तुत की गई कुछ जानकारी इस प्रकार थी:

  • आनलाइन महिला विनिर्दिष्ट अपराध रिपोर्टिंग यूनिट – इसे राष्ट्रीय महिला आयोग के साथ ऐसी रीति में परस्पर जोड़ा जाना चाहिए कि यदि कोई महिला साइबर अपराध के बारे में राष्ट्रीय महिला आयोग को कोई शिकायत करना चाहे तो यह शिकायत राष्ट्रीय महिला आयोग को पावती और शिकायतकर्ता को इसकी एक प्रति सहित, गृह मंत्रालय के अपराध रिपोर्टिंग यूनिट को भेजी जानी चाहिए । इससे शिकायतों के त्वरित और वह भी सूचना प्रौद्योगिकी के वृत्तिकों की सहायता से निपटान करने को प्रोत्साहन मिलेगा ।
  • साइबर अपराधों के लिए मानीटरिंग यूनिट – मानीटरिंग यूनिट को राष्ट्रीय महिला आयोग के माध्यम से प्राप्त शिकायतों के बारे में मासिक रिपोर्टें देनी चाहिए ।
  • राष्ट्रीय न्यायालयिक (फोरेंसिक) प्रयोगशाला – फोरेंसिक प्रयोगशालाओं में महिलाओं के प्रति अपराध के अन्वेषण से संबंधित रिपोर्टें लंबित होने के कारण विलंब होता है , इसलिए राष्ट्रीय महिला आयोग इससे सहमत हुआ ।
  • क्षमता-निर्माण इसके अंतर्गत घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 के अधीन नियुक्त संरक्षण अधिकारियों का क्षमता-निर्माण शामिल होना चाहिए ।

सुझाई गई सिफारिशें महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को अग्रिम आवश्यक कार्रवाई के लिए भेजी गई थीं ।