जेलों एवं आश्रय-गृहों का दौरा
राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम की धारा 10(10) के अनुसार, राष्ट्रीय महिला आयोग के कृत्यों में से एक कृत्य जेलों, सुधार-गृहों, महिलाओं की संस्थाओं या अभिरक्षा के अन्य स्थान का, जहां महिलाओं को बन्दी के रूप में या अन्यथा रखा जाता है, निरीक्षण करना या करवाना और उपचारी कार्रवाई के लिए, यदि आवश्यक हो, संबंधित प्राधिकारियों से बातचीत करना है । अभिरक्षा में रखी गई महिलाओं की दशा का निर्धारण और विश्लेषण करने की दृष्टि से आयोग के सदस्यों ने वर्ष 2015-16 के दौरान निम्नलिखित जेलों का दौरा किया:
i सुश्री रेखा शर्मा, सदस्य, राष्ट्रीय महिला आयोग ने महिला अंतःवासियों की दशा का निरीक्षण करने के लिए फरीदाबाद, करनाल और चंडीगढ़ की जेलों और आश्रय-गृहों का दौरा किया ।
ii. उन्होंन यह पाया कि भवन वास्तुशिल्प की दृष्टि से काफी मूल्यवान है किन्तु कुछ स्थान ऐसे हैं जिनकी हालत जीर्ण-शीर्ण है, विशेष रूप से प्रशासनिक और प्रशिक्षण खंड । जहां तक चिकित्सा सुविधाओं का संबंध है, वहां केवल एक नर्स है जो बुनियादी चिकित्सा उपचार करती है और अंतःवासियों को प्रायः सरकारी अस्पतालों में जाना पड़ता है ।
iii. सुश्री लालडिंगलियानी सैलो, सदस्य, राष्ट्रीय महिला आयोग ने 12 सितम्बर, 2015 को केन्द्रीय कारागार, गुवाहाटी, असम का दौरा किया । केन्द्रीय कारागार की दशा खराब है, वहां की सड़क कच्ची है तथा नाला और दीवारें काई से भरी हुई हैं और उन पर गन्दगी जमा हो गई है । शौचालयों की दशा दयनीय है और वे प्रयोग करने योग्य नहीं हैं ।
iv. सुश्री सुषमा साहू, सदस्य, राष्ट्रीय महिला आयोग ने तारीख 9-10 सितम्बर, 2015 को वृंदावन, उत्तर प्रदेश के वृद्धाश्रमों का दौरा किया ।
v. श्रीमती प्रीति मदान, सदस्य-सचिव, राष्ट्रीय महिला आयोग ने महिला अंतःवासियों की दशा का निरीक्षण करने के लिए 5 अक्तूबर, 2015 को शिलांग,जिला पूर्वी खासी हिल्स, मेघालय में एक जेल का दौरा किया । उन्होंने यह पाया कि वहां 10 महिला अंतःवासी हैं तथा उन्होंने साफ-सुथरे कपड़े पहने हुए थे । वहां कमरों के साथ शौचालय सहबद्ध थे तथापि सेनेटरी नैपकिन के निस्तारण की कोई समुचित व्यवस्था नहीं थी । रसोई में एक रसोइया था तथा डाक्टर सप्ताह में एक बार आता था ।
vi. श्रीमती प्रीति मदान, सदस्य-सचिव, राष्ट्रीय महिला आयोग ने महिला अंतःवासियों की दशा का निरीक्षण करने के लिए दिसम्बर, 2015 में अहमदाबाद, गुजरात में एक जेल का दौरा किया । उन्होंने यह पाया कि महिला अंतःवासियों के लिए एक ब्यूटी पार्लर चलाया जा रहा है, महिला अंतःवासियों को कडाई करना और मेंहदी लगाना सिखाया जा रहा है । अंतःवासियों के लिए चिकित्सीय सुविधाएं और विधिक सुविधाएं भी उपलब्ध हैं ।
vii. सुश्री रेखा शर्मा, सदस्य, राष्ट्रीय महिला आयोग ने श्री प्रवीण शर्मा, परामर्शदाता, राष्ट्रीय महिला आयोग के साथ महिला अंतःवासियों की दशा का निरीक्षण करने के लिए 7 से 9 अक्तूबर, 2015 तक लखनऊ के आश्रय-गृह और जेल का दौरा किया । उन्होंने यह पाया कि वहां 3040 अंतःवासी थे जिनमें से 82 महिलाएं थीं । महिला अंतःवासियों के लिए 62 शौचालय थे और वे अच्छी दशा में थे । इसमें 78 महिलाएं विचारणाधीन थीं और 4 महिलाएं सिद्धदोष थीं। जेल में प्रशिक्षण/कौशल शिक्षण की कोई व्यवस्था नहीं थी, तथापि चिकित्सीय सहायता एवं कानूनी सहायता उपलब्ध थी ।
viii. सुश्री रेखा शर्मा, सदस्य, राष्ट्रीय महिला आयोग ने तारीख 3 से 5 नवम्बर, 2015 तक कोलकाता में सरकारी मनोचिकित्सा अस्पताल का दौरा किया और पश्चिमी बंगाल के पुलिस महानिदेशक से मुलाकात की ।
ix. सुश्री रेखा शर्मा, सदस्य, राष्ट्रीय महिला आयोग ने तारीख 1 से 3 दिसम्बर, 2015 तक वाराणसी का दौरा किया और वाराणसी के ज्येष्ठ पुलिस अधीक्षक और सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से मुलाकात की और उन्होंने वाराणसी में विधवा आश्रम और नारी निकेतन का भी दौरा किया ।
x. सुश्री रेखा शर्मा, सदस्य, राष्ट्रीय महिला आयोग ने तारीख 10 दिसम्बर, 2015 को इलाहाबाद के सरकारी अस्पताल का दौरा किया ।
xi. सुश्री रेखा शर्मा, सदस्य, राष्ट्रीय महिला आयोग ने तारीख 18 से 21 दिसम्बर, 2015 तक निमहांस, केरल का दौरा किया ।
xii. सुश्री रेखा शर्मा, सदस्य, राष्ट्रीय महिला आयोग ने तारीख 18 से 19 जनवरी, 2016 तक जांच दल के साथ जांच के लिए उत्तराखंड नारी निकेतन का दौरा किया ।
xiii. सुश्री रेखा शर्मा, सदस्य, राष्ट्रीय महिला आयोग ने तारीख 1 से 5 फरवरी, 2016 तक सरकारी मानसिक अस्पताल, अमृतसर, पंजाब का दौरा किया ।
xiv. सुश्री रेखा शर्मा, सदस्य, राष्ट्रीय महिला आयोग ने तारीख 16 से 20 मार्च, 2016 तक जयपुर महिला जेल का दौरा किया जहां उन्होंने यह पाया कि वहां कोई हरियाली नहीं थी और यह कि अंतःवासियों को बन्द कमरों में रखा गया था और अंतःवासियों के बच्चे नियमित रूप से स्कूल नहीं जा रहे थे ।
xv. सुश्री रेखा शर्मा, सदस्य, राष्ट्रीय महिला आयोग ने तारीख 31 मार्च, 2016 को जांच दल के साथ जांच के लिए रैनबसेरा आश्रय-गृह का दौरा किया ।
xvi. सुश्री रेखा शर्मा, सदस्य, राष्ट्रीय महिला आयोग ने तारीख 18 से 20 दिसम्बर, 2015 तक सरकारी मानसिक स्वास्थ्य केन्द्र, कोझीकोड, कुट्टीरवट्टम, केरल का दौरा किया जहां उन्होंने यह पाया कि वहां सफाई नहीं थी, शय्याग्रस्त अंतःवासियों को समुचित चिकित्सीय सहायता के बिना रखा हुआ था, स्टाफ और विशेषज्ञों की कमी थी, अस्पताल का चक्कर लगाने के लिए बच्चों को डांटा जा रहा था और वे चिड़ियाघर के जानवरों की तरह काम कर रहे थे ।
जेलों के दौरों की रिपोर्टें समुचित प्राधिकारियों के अग्रिम आवश्यक कार्रवाई के लिए भेज दी गई थी । उनमें से कुछ सिफारिशों का नीचे उल्लेख किया गया है:
1. यह सिफारिश की जाती है कि सरकार को सफाई की सामग्री और उपस्कर के लिए नियमित आधार पर निधियां प्रदान करनी चाहिए ।
2. बाथरूम और शौचालयों को नई फिटिंग लगाकर उन्नत किया जाना चाहिए ।
3. शौचालयों के बेहतर प्रबंधन के लिए एसिड, सफाई द्रव्य, कपड़ा आदि बुनियादी सफाई उपकरण की व्यवस्था की जानी चाहिए ।
4. सीवेज पाइपों की जांच की जानी चाहिए और यदि संभव हो तो उन्हें बदल देना चाहिए ।
5. सेनेटरी नैपकिन के निस्तारण के लिए समुचित व्यवस्था की जानी चाहिए ।
6. अंतःवासियों को संवरने की बुनियादी सामग्री, जैसे साबुन, शैम्पू, टूथपेस्ट, टूथब्रश आदि पर्याप्त रूप में उपलब्ध कराई जानी चाहिए ।
7. महिला डाक्टरों के साप्ताहिक दौरे की व्यवस्था की जानी चाहिए ।
8. एक पूर्णरूपेण शफाखाना का निर्माण किया जाना चाहिए ।
9. मनोरंजन की गतिविधियों, जैसे इनडोर खेल तथा टेलीविज़न की व्यवस्था की जानी चाहिए ।
10. एक सेनेटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन लगाई जानी चाहिए जिसके लिए अंतःवासियों को निःशुल्क टोकन दिए जाने चाहिएं ।
11. शिशु-गृह सुविधाएं उपलब्ध कराई जानी चाहिएं ।
12. इस बात की आवश्यकता है कि राष्ट्रीय महिला आयोग और अन्य राज्य महिला आयोग अधिक जल्दी-जल्दी पुलिस और न्यायिक अधिकारियों से इस निरंतर संवाद के लिए चर्चा करें कि ऐसे मामलों में कार्यवाही करने में उन्हें कौनसी बाधाओं का सामना करना पड़ता है या महिला अभियुक्तों की पृष्ठभूमि/परिस्थिति के बारे में उनका दृष्टिकोण क्या है ।
13. दोषसिद्ध व्यक्तियों को अधिकारस्वरूप सभी कागजात प्राप्त होने चाहिएं, जिनमें वे निर्णय भी हैं जो उनकी दोषसिद्धि का आधार बने हैं ।
14. अंतःवासियों को विधिक शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए उनके लिए कानूनी जागरुकता कार्यक्रमों का आयोजन नियमित रूप से किया जाना चाहिए ।
15. स्वच्छ रहन-सहन के लिए नई चादरों, तौलियों, गिलाफों का क्रय किया जाना चाहिए ।