संक्षिप्त इतिहास
राष्टीय महिला आयोग की सांविधिक निकाय के रूप में स्थापना महिलाओं के लिए संवैधानिक और विधायी सुरक्षापायों की समीक्षा करने; उपचारी विधायी उपायों की सिफारिश करने; शिकायतों के निवारण को सुकर बनाने; और महिलाओं को प्रभावित करने वाले सभी नीतिगत मामलों पर सरकार को सलाह देने के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम,1990 (भारत सरकार का 1990 का अधिनियम संख्या 20) के तहत जनवरी, 1992 में की गई।
संक्षिप्त इतिहास
भारत में महिलाओं की स्थिति पर समिति (सीएसडब्ल्यूआई) ने लगभग दो दश्क पहले ही महिलाओं की शिकायतों के निवारण को सुकर बनाने और उनके सामाजिक-आर्थिक विकास की गति को बढ़ाने के लिए निगरानी के कार्यों को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग के गठन की अनुशंसा की थी।
- राष्ट्रीय महिला भावी योजना (1988-2000) सहित अनुक्रमिक समितियों / आयोगों / योजनाओं ने महिलाओं हेतु सर्वोच्च निकाय गठित करने की अनुशंसा की।
- वर्ष 1990 के दौरान, केंद्र सरकार ने गठित किए जाने वाले प्रस्तावित आयोग की संरचना, कृत्यों, शक्तियों आदि के बारे में गैर-सरकारी संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं विशेषज्ञों के साथ परामर्श बैठकें आयोजित कीं।
- मई, 1990 में, विधेयक को लोक सभा में पुर:स्थापित किया गया।
- जुलाई 1990 में, मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने विधेयक के बारे में सुझाव प्राप्त करने के लिए राष्ट्र स्तरीय सम्मेलन आयोजित किया। अगस्त, 1990 में सरकार अनेक संशोधन लाई और आयोग को सिविल न्यायालय की शक्तियां प्रदान करने के नए उपबंध पुर:स्थापित किए।
- विधेयक पारित हुआ और 30 अगस्त, 1990 को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली।
पहला आयोग 31 जनवरी 1992 को गठित किया गया था, जिसकी अध्यक्ष सुश्री जयंती पटनायक थीं। दूसरे आयोग का गठन जुलाई 1995 में किया गया, जिसकी अध्यक्ष डॉ. मोहिनी गिरी थीं। तीसरे आयोग का गठन जनवरी 1999 में किया गया, जिसकी अध्यक्ष सुश्री विभा पार्थसारथी थीं। चौथे आयोग का गठन जनवरी 2002 में किया गया, जिसकी अध्यक्ष डॉ. पूर्णिमा आडवाणी थीं। पांचवें आयोग का गठन फरवरी 2005 में किया गया था, जिसकी अध्यक्ष डॉ. गिरिजा व्यास थीं। छठे आयोग का गठन अगस्त 2011 में किया गया था, जिसकी अध्यक्ष सुश्री ममता शर्मा थीं। सातवें आयोग का गठन 2014 में किया गया था, जिसकी अध्यक्ष सुश्री ललिता कुमारमंगलम थीं। वर्तमान आयोग का गठन अगस्त 2018 में किया गया था, जिसकी अध्यक्ष सुश्री रेखा शर्मा हैं।