प्रक्रिया
- शिकायत की रसीद तथा पंजीकरण : प्राप्त शिकायत की उचित रूप से प्राप्ति, पंजीकृत होने तथा शीघ्रातिशीघ्र अभिस्वीकृति होने की अपेक्षा रहेगी । सुलभ संदर्भ के लिए शिकायतकर्ता को मिसिल संख्या के संगत शिकायत नम्बर वाली रसीद दी जाएगी ।
- शिकायत की जांच: शिकायत के पंजीकरण के बाद, परामर्शदाता शिकायत की जांच पड़ताल करेगा ताकि इसकी सच्चाई अभिनिश्चित की जा सके तथा यदि आवश्यक समझा जाए तो पक्षों से इसकी जानकारी मांगी जाएगी ।
- की जाने वाली प्रस्तावित कार्रवाई : मामले के गुणावगुण संस्थापित होने पर प्रकोष्ठ निम्नलिखित कार्रवाई करेगा :
- परामर्श : पीड़ित व्यक्ति को परामर्शी सेवाएं दी जाएंगी तथा उसे कानून की स्थिति और उसे उपलब्ध विभिन्न विकल्पों के बारे में बताएगा ।
- मध्यस्थता/सुलह के माध्यम से अनबन का समाधान : प्रकोष्ठ अपने विशेषज्ञों के पैनल के माध्यम से व्यक्तियों में यदि संभव हो, शिकायतकर्ता के अनुरोध पर निर्भर करते हुए अथवा वीडियो/ऑडियो कांफ्रेंसिंग के तहत पतियों-पत्नियों के बीच मध्यस्थता का प्रबंध करेगा ।
- मामले का निर्णय पर पहुंचना : पत्नियों की संतुष्टि और पतियों की क्षमता को विवाह-विच्छेद के तहत, इस कानूनी कार्रवाई से तलाक के लिए भारत में अथवा विदेश में, स्थिति पर निर्भर करता है, पारस्परिकता पर अनुसरण किया जा सकता है ।
मध्यस्थता अथवा आपसी व्यवस्था के निष्फल होने पर, पीड़ित पत्नी को उसके कानूनी अधिकारों के बारे में बताया जाएगा तथा यदि वह चाहेगी तो कानूनी कार्यवाहियों को शुरू करने में उसकी सहायता की जाएगी । उसी समय प्रकोष्ठ निम्नलिखित कार्रवाई करेगा:
- कानूनी प्रक्रिया शुरू करने के लिए राज्य सरकार तथा स्थानीय पुलिस प्रशासन के साथ मुद्दे को उठाएगा ।
- प्रकोष्ठ मामले में आवश्यक अनुवर्ती कार्रवाई, प्रबोधन तथा नवीनतम विकास की रिपोर्टिंग के लिए संबंधित राज्य महिला आयोग को अनुरोध करेगा ।
- विदेश में पीड़ित महिला के परामर्श, मध्यस्थता, आश्रय, सुरक्षा आादि हेतु मिशनों तथा विदेश में गैर-सरकारी संगठनों के साथ मामले को उठाएगा ।
- लुकआउट कार्नर नोटिस को जारी करने की सिफारिश करेगा, विदेश में सम्मन जारी करने की सिफारिश करेगा ।
- आपराधिक प्रक्रिया संहिता, पासपोर्ट अधिनियम तथा अन्य कानूनों की धारा 188, 285 आदि के अंतर्गत कार्रवाई की सिफारिश करेगा।