कानूनी जागरुकता कार्यक्रम
महिलाओं तथा विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं के उत्थान के लिए कानूनी जागरुकता के सृजन का सर्वोपरि महत्व है । वे अपने कानूनी और अन्य अधिकारों, समाज में अपनी स्थिति और अपनी समस्याओं के समाधान के बारे में अनभिज्ञ हैं ।
राष्ट्रीय महिला आयोग ने कानूनी जागरुकता कार्यक्रम (एल.ए.पी.) आयोजित करने संबंधी दिशानिर्देशों को संशोधित किया है और एक नया व्यापक “महिलाओं से संबंधित विधियों के बारे में कानूनी जागरुकता कार्यक्रम के लिए मानकीकृत माड्यूल” विकसित किया है । इस माड्यूल में हाल ही के नए विधानों और संशोधनों, जैसे कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम, 2013 और दंड संशोधन विधि, 2013 आदि सहित पाठ्य विवरण/विधियों का वर्णन है ।
60 सहभागियों के साथ दो दिन के एक शिविर का आयोजन करने के लिए गैर एन.ई.आर. क्षेत्र के लिए वित्तीय सहायता बढ़ाकर 1,00,000 रुपए और एन.ई.आर. क्षेत्र के लिए 1,20,000 रुपए कर दी गई है । वर्ष 2015-16 के लिए ख्यातिप्राप्त विश्वविद्यालयों/विधि विभागों/महाविद्यालयों से कानूनी जागरुकता कार्यक्रमों के लिए आनलाइन प्रस्ताव आमंत्रित किए गए थे । राष्ट्रीय महिला आयोग ने चालू वित्त वर्ष के लिए 133 कार्यक्रमों को प्रायोजित करने की योजना बनाई है जिनमें लगभग 8000 सहभागियों को कानूनी जागरुकता प्रदान की जाएगी ।
राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस माड्यूल को कार्यान्वित करने और महिलाओं से संबंधित विधियों के बारे में कानूनी जागरुकता प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण/ संपूर्ण देश के ख्यातिप्राप्त विश्वविद्यालयों/विधि विभागों/महाविद्यालयों से भी सहयोग स्थापित किया ।
आयोग द्वारा वर्ष 2015-16 के दौरान आयोजित किए गए कानूनी जागरुकता कार्यक्रमों का राज्यवार ब्यौरा उपाबंध-VIII में दिया गया है ।