Sorry, you need to enable JavaScript to visit this website.

प्रस्तावना

आयोग की अनिवासी भारतीय प्रकोष्‍ठ की प्रस्‍तावना

निजी बनाम सार्वजनिक स्‍थलों का सतत मतभेद जिसे ‘बुल इन दा चाइना शॉप’ के रूप में घरों में कानून का प्रवेश समझा जाता है, विधायी प्रणाली घरों को अत्‍यधिक अपमानित करने के लिए बड़े पैमाने पर जिम्‍मेदार रही है, यद्यपि यह सच्‍चाई है कि कुछ सबसे बड़े अधिकारों का उल्‍लंघन घरों की ‘अलंघ्‍य’ चारदीवारी के भीतर होता है। परस्‍पर वैवाहिक संबंधों की संवेदी और नाजुक प्रकृति से जुड़ी यह दुविधा किसी व्‍यवस्‍था के भीतर कानूनी हस्‍तक्षेप के सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण और जटिल क्षेत्रों में से वैवाहिक विवादों के पूरे क्षेत्र को तैयार करने के लिए व्‍यापक रूप से जिम्‍मेदार है। विशेषकर भारतीय संदर्भ में यह सच है कि समान सिविल कानूनों के न होने से यह और अधिक पेचीदा हो जाती है 

इस देश में प्रत्‍येक धार्मिक समुदाय का व्यक्‍तिगत कानून भिन्‍न है, इस प्रकार वैवाहिक विवादों, विशेषकर अंतर-धर्म विवाहों में इनसे निपटना और भी अधिक कठिन होता है।

जहां वैवाहिक विवादों को रखा जाता है, वहां  पहले से ही परिदृश्‍य जटिल होता है, जब कोई विवाह देश की सीमा से बाहर किसी व्‍यक्‍ति के साथ होता है तथा अत: देश की विधायी व्‍यवस्‍था की सीमाओं से बाहर  तो कानूनी पेचीदगियां इसे बहुगुणित कर देती हैं। ऐसी घटना को ‘एनआरआई मैरिजिज’ के रूप में जाना जाता है। ये विवाह प्राय: निजी अंतरराष्‍ट्रीय कानून ‘उलझन’ पुकारे जाने वाले डोमेन के अंदर आते हैं, जो विभिन्‍न देशों के कानूनों के पारस्‍परिक प्रभाव तथा उल्‍लंघन से निपटते हैं, इनमें बहुत अधिक जटिल मुद्दे बनते हैं, जिनकी यहां बाद में व्‍याख्‍या की जाएगी।

यद्यपि यह ठेठ ‘अनिवासी भारतीय विवाह’ एक जेण्‍डर उदासीन शब्‍द है जिसे सामान्‍यतया भारत से भारतीय महिला और किसी दूसरे देश में रह रहे भारतीय पुरूष (इस प्रकार एनआरआई-अनिवासी भारतीय) के बीच समझा जाता है। यदि वो भारतीय नागरिक हो (तो वह विधायी रूप से ‘एनआरआई’ होगा) अथवा दूसरे देश के नागरिक के रूप में (तो वह कानूनी रूप से –एक पीआईओ-भारतीय मूल का व्‍यक्‍ति) होगा। विदेशों में प्रवासन की भारतीयों की अभिरूचि को देखते हुए, ऐसे विवाहों को भारतीय समाज में सर्वाधिक लोलुपी देखा जाता है, जो न केवल महिला के लिए बल्‍कि उसके पूरे परिवार के लिए हरी-भरी चरागाहों का वादा करने वाले होते हैं। 

ऐसे लाभप्रद संसर्ग प्रस्ताव हाथ से न निकल जाएं इस उत्‍सुकता में परिवार जोड़ी मिलाने की परंपरागत सामान्‍य-सी सावधानियों को भी बिल्‍कुल नजर अंदाज कर देते हैं । वे इस बात की भी अनदेखी कर देते हैं कि यदि अनिवासी भारतीय विवाह में गड़बड़ हो रही हो तो महिला को न्‍याय की शरण में जाना इस कारण से अधिक प्रतिबंधित करता है कि ऐसे विवाह न केवल भारतीय विधायी प्रणाली द्वारा कहीं शासी है बल्‍कि अन्‍य देश की विधायी प्रणाली में भी शामिल अंतरराष्‍ट्रीय कानून और अधिक जटिल होते हैं ।

वे सामान्‍य-सी इस सच्‍चाई की भी उपेक्षा करते हैं कि हजारों मीलों से न्‍याय के लिए आई महिला से वार्ता न करना उसके लिए  पूरी तरह से क्रुरता वाला अनुभव रहेगा।

ऐसे विवाहों में भारी जोखिम, विदेशी भूमि में घर से बहुत दूर महिला का एकाकी होना, भाषा, सम्‍प्रेषण के अवश्‍यंभावी सामना किए जाने वाले दबाव, स्‍थानीय अपराधिक न्‍याय, पुलिस तथा विधायी प्रणाली की जानकारी की कमी, उसके लिए मित्रों और परिवार की सहायता के नेटवर्क की कमी, तुरन्‍त और तैयार उपलब्‍ध वित्‍तीय सहायता तथा शरण पाने के आश्रय की कमी के मुद़दे होते हैं जिन पर विवाह के समय कोई बात करना अथवा इन्‍हे सुनना नहीं चाहता। अत: यह बहुत चौंकाने वाला है कि इस बात के साक्ष्‍य आज के दौर में बढ़ते जा रहें है कि यहां तक कि अनिवासी भारतीय विवाहों में प्रतिवर्ष हजारों की संख्‍या में वृद्धि हो रही है। बढ़ते भारतीय डायसपोरा से, अनिवासी भारतीय विवाहों से वैवाहिक संख्‍या तथा संबंधित विवाद भी अनुपातिक रूप से बढ़े हैं, वास्‍तव में बहुत से स्‍थानों पर और भी अधिक अनुपात में।

अनिवासी भारतीय विवाहों से उठने वाले मुद्दे

  1. अनिवासी भारतीय के साथ विवाहित महिला जिसे उसके पति द्वारा विदेश में अपने निवास पर ले जाने से पूर्व छोटी सी अवधि के हनीमून के बाद उसका पति यह वादा करके वापस विदेश लौट गया था कि शीघ्र ही वह उसके लिए टिकट भेजेगा और कभी वापस नहीं आया। इस बात के बहुत से उदाहरण हैं कि उसके वापस चले जाने के बाद महिला गर्भवती हो गई तथा इसलिए महिला और बच्‍चा(जो पैदा हुआ) दोनों परित्‍यक्‍त हो गए।

    पति ने न तो कभी उन्‍हें बुलाया अथवा कोई पत्र लिखा और न ही वह दौबारा लौट कर आया। सास-ससूर जो अभी भी भारत में हो सकते हैं वे या तो यह तर्क देते हैं वे निस्‍सहाय हैं अथवा मदद करने के लिए सीधे मना कर देते हैं।
     

  2. महिला जो अन्‍य देश में अपने पति के घर चली गई उन्‍हे उनके द्वारा बल से क्रूरता से पिटाई, प्रहार, मानसिक और शारीरिक दोनों शोषण, कुपोषण, नजरबन्‍दी तथा अनेक अन्‍य तरीकों से  बुरा व्‍यवहार किया जाता है। अत: या तो उन्‍हें भागने पर मजबूर होना पड़ा अथवा उन्‍हे जवरदस्‍ती वापस ले जाया गया। यह भी हुआ है कि उन्‍हे अपने बच्‍चे के साथ वापस आने की अनुमति न दी गई, बहुत से मामलों में, बच्‍चों का अपहरण किया गया अथवा महिला से जबरदस्‍ती छीन लिया गया।
     
  3. स्‍वंय महिला अथवा उसके माता-पिता को दहेज के रूप में भारी धनराशि की अदायगी के लिए रोककर रखा गया, विवाह से पूर्व तथा बाद में दोनों स्‍थिति में, उसके पति के निवास स्‍थान वाले देश में महिला का सतत रहना तथा सुरक्षा भी इस बात पर निर्भर करेगा ।
     
  4. महिला जो अपने पति के विदेश वाले निवास में पहुंची तथा जिसमें अन्‍तरराष्‍ट्रीय एयरपोर्ट पर अपने पति का उसे लेने आने का इन्‍तजार किया परन्‍तु आखिरकार वह नहीं आया।
     
  5. महिला जिसका विदेश में बिल्‍कुल निस्‍सहाय अथवा किसी भोजन अथवा बच निकलने के साधनों के बिना अथवा उस देश में ठहरने की विधायी अनुमति के बिना परित्‍याग किया गया।
     
  6. महिला जिसे अपने अनिवासी भारतीय पति के निवास के देश में पहुंचने पर पता चला कि उसका पति दूसरे देश में किसी अन्‍य महिला जिसके पास वह रहता है के साथ विवाहित है। उसने अपने माता-पिता के दबाव के कारण तथा  माता पिता को खुश करने के लिए अथवा कभी-कभी उसका घरेलू नौकर की तरह उपयोग भी कर सकेगा, इसलिए विवाह किया।
     
  7. महिला जिसे बाद में पता चला कि उसके अनिवासी भारतीय पति ने उसके साथ विवाह करने के लिए फुसलाने हेतु निम्‍नालिखित में से कोई अथवा सभी जानकारिया झूठी दी थी: अपनी नौकरी की, अप्रवासन स्‍थिति, अर्जन, सम्‍पत्ति, वैवाहिक स्‍थिति अन्‍य चिजों का ब्‍योरा ।
     
  8. महिला जिसके पति ने, अन्‍य विधायी प्रणालियों के तहत और अधिक सदय तलाक आधारों का लाभ उठाते हुए उसको वापस भेजने अथवा जबरदस्‍ती भारत भेजने के बाद अथवा उसके वहां रहते हुए भी जाल- साजी के अभ्‍यावेदनों के माध्‍यम से तथा उसके पिछे से यानी बिना उसकी जानकारी के विदेश में तलाक की एक पक्षीय डिग्री प्राप्‍त की ।
     
  9. इस बात का बहाना लगाकर कि अन्‍य देश में न्‍यायालय द्वारा इस विवाह को पहले से समाप्‍त कर दिया गया है महिला को भारत में भरण-पोषण भत्‍ते से इन्‍कार किया गया।
     
  10. महिला जिसने या तो भारत में या अन्‍य किसी देश में उसे बार-बार न्‍यायालयों के क्षेत्राधिकार से संबंधित तकनीकी कानूनी बाधाओं नोटिसों और आदेशों की सर्विस अथवा आदेशों के लागू होने अथवा उसे कानूनी कार्रवाई करने के लिए अन्‍य देश में साथ-साथ प्रतिकारात्‍मक कानूनी कार्यवाही शुरू करने के लिए पति के बारे पता करने का सामना करना पड़ा।
     
  11. महिला जिसने अपने पति अथवा ससुराल पक्ष को दहेज की मांग तथा अथवा, वैवाहिक क्रूरता के मामले में सजा दिलवाने के लिए अपराधिक कानून का उपयोग करना चाहा तथा पाया कि पति के भारत न आने तथा किसी तरह से बुलावे यहां तक कि गिफ्तारी वांरट का उत्‍तर न देने अथवा सुनवाई के लिए न्‍यायालय में प्रस्‍तुत न होने के कारण कार्यवाही नहीं हो सकी।
     
  12. महिला जिसे व्‍यक्‍ति के विदेश निवास स्‍थल पर यात्रा करने के आने लिए फुसलाया गया तथा उस देश में विवाह किया गया, जिसे बाद में पता चला कि ऐसे मामलों में भारतीय न्‍यायालयों के पास और भी अधिेक सीमित क्षेत्राधिकार हैं।
     
  13. महिला जिसे अपने बच्‍चों की अभिरक्षा तथा बाल सहायतार्थ अप्रिय कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी तथा तलाकशुदा होने अथवा जबरन विवाह-विच्‍छेद के बाद उन्‍हें वापस अपने पास लाने के लिए कभी –कभी तो स्‍वयं के बच्चों को अवैध रूप से भगा कर लाने के आरोपों का भी सामना करना पड़ा ।
     
  14. बहुत-सी महिलाओं ने उनके अनिवासी भारतीय पतियों द्वारा परित्‍यक्त होने संबंधी अपनी शिकायतों के निवारण की मांग करते हुए आयोग में भी गुहार लगाई ।