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पूर्वोत्तर प्रकोष्ठ के कार्यकलाप

पूर्वोत्तर प्रकोष्ठ के कार्यकलाप

9-12 जनवरी, 2014 को राष्ट्रीय महिला आयोग का मणिपुर का दौरा

अलग से पूर्वोत्तर प्रकोष्ठ के गठन का पूर्वोत्तर क्षेत्र में व्यापक प्रचार करने और स्थानीय महिलाओं से बातचीत करने के लिए, श्रीमती ममता शर्मा, अध्यक्ष, राष्ट्रीय महिला आयोग की अगुवाई में राष्ट्रीय महिला आयोग के प्रतिनिध मंडल ने 09-12 जनवरी, 2014 को मणिपुर का दौरा किया। दौरे के दौरान, मणिपुर राज्य महिला आयोग के सहयोग से निम्नलिखित कार्यक्रम आयोजित किए गए :

I)  राज्य महिला आयोगों के अध्यक्षों के साथ राष्ट्रीय महिला आयोग की संवादात्माक बैठक

09 जनवरी, 2014 को इम्फाल, मणिपुर में राष्ट्रीय महिला आयोग ने क्षेत्र के राज्य‍ महिला आयोगों के साथ सशक्त नेटवर्क विकसित करने और निम्न लिखित बिंदुओं पर राज्य आयोगों द्वारा किए जा रहे कार्यों पर जानकारी प्राप्त करने के लिए उनके साथ एक सत्र का आयोजन किया :-

  1. विभिन्‍न कानूनों के अंतर्गत महिलाओं को प्रदत्‍त सुरक्षोपाय राज्‍य में कैसे कार्य कर रहे हैं ।
  2. राज्‍य में महिलाओं की स्‍थिति में सुधार करने के लिए सुरक्षापायों के कारगर क्रियान्‍वयन हेतु सिफारिशें ।
  3. महिलाओं के सामाजिक – आर्थिक विकास के लिए आयोजना प्रक्रिया में सुधार पर सलाह ।
  4. विश्‍वविद्यालयों अथवा स्‍थानीय प्रतिष्‍ठित गैर-सरकारी संगठनों के सहयोग से संवर्धनात्‍मक एवं शैक्षणिक अनुसंधान शुरू करने के लिए राज्‍य महिला आयोगों के लिए कार्यविधि और योजना / प्रस्‍ताव ।

चर्चा शुरू करते हूए, डा0 इबेतोम्‍बी देवी, अध्‍यक्ष, मणिपुर राज्‍य महिला आयोग ने राष्‍ट्रीय महिला आयोग की अध्‍यक्ष एवं सदस्‍यों और राज्‍य महिला आयोगों की अध्‍यक्षों का स्‍वागत किया और राष्‍ट्रीय महिला आयोग में पूर्वोत्‍तर प्रकोष्‍ठ के गठन की पहल के लिए श्रीमती ममता शर्मा, अध्‍यक्ष, राष्‍ट्रीय महिला आयोग का आभार व्‍यक्‍त किया ।

श्रीमती ममता शर्मा, अध्यक्ष, राष्ट्रीय महिला आयोग ने अपने संबोधन में इम्फाल में मिलने के अवसर पर अपनी प्रसन्नता व्यहक्त‍ की । श्रीमती शर्मा ने सभा को राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा आयोजित किए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों और जेंडर आधारित हिंसा के निवारण एवं जेंडर मुद्दों पर कार्य करने के अवसर उपलब्ध कराने के लिए प्रकाशित पुस्तिकाओं के बारे में बताया । उन्होंने कहा कि महिलाओं की समस्याएं एक राज्य से दूसरे राज्य में और एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में भिन्न – भिन्न हो सकती हैं लेकिन महिला अधिकारों की वंचना सर्वव्यापक है । उन्होंने पूर्वोत्तर में जीवन के सभी क्षेत्रों में महिलाओं के साहस एवं राजनैतिक सक्रियतावाद का विशेष उल्ले‍ख किया । उन्होंने बताया कि महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे सशक्ति एवं संवेदी बनाने के लिए महिलाओं तक गांव स्तर तक पहुंचने के लिए नियमित बातचीत करने की जरूरत भी महसूस की है । राष्ट्रीय महिला आयोग महिलाओं के अपने राज्यों के साथ – साथ अखिल भारत में उनकी विशिष्ट  समस्याओं एवं चुनौतियों को समझता है । इसलिए, पूर्वोत्तर की महिलाओं और उनकी विशिष्ट समस्याओं / चुनौतियों पर अधिक ध्यान देने और जहां कहीं अपेक्षित हो, राज्य सरकारों / केंद्र सरकार के साथ हस्तक्षेप करने के लिए भी, पूर्वोत्तर प्रकोष्ठ का गठन किया गया है । उन्होंने राज्य महिला आयोगों के साथ, जो बुनियादी स्तर तक पहुंचने के लिए महत्वपूर्ण शाखा हैं, नियमित विचार - विमर्श की जरूरत पर भी जोर दिया ।

विचार विमर्श बैठक के दौरान राज्य आयोगों के अध्‍यक्षों ने पूर्वोलिखित मुद्दों पर प्रस्तुतीकरण दिया ।

राज्य महिला आयोगों ने उनके सामने आ रही निम्‍नलिखित समान समस्‍याओं के कारण अधिदेश के अनुसार उपयोगी एवं सार्थक कार्य करने में अपनी असमर्थता व्‍यक्‍त की :

  1. राज्‍य महिला आयोगों का 25 लाख रुपये से 50 लाख रुपये का बहुत छोटा वार्षिक बजट होता है जो क्षेत्र की महिलाओं की जरूरतों को पूरी करने के लिए पर्याप्‍त नहीं है। 
  2. कानूनी जागरूकता कार्यक्रमों के लिए राशियां काफी अपर्याप्‍त हैं क्‍योंकि पूर्वोत्‍तर क्षेत्र अपनी स्‍थलाकृति, अवसंरचनाओं के अभाव आदि के कारण दुर्गम क्षेत्र है । 
  3. त्रिपुरा राज्‍य के अलावा, जहां अध्‍यक्ष केबिनेट मंत्री के स्‍तर का होता है और उसे मंत्री का पूरा दर्जा प्राप्‍त है, अन्‍य राज्‍यों में अध्‍यक्ष एवं सदस्‍यों का स्‍तर परिभाषित नहीं है । 
  4. अध्‍यक्ष एवं सदस्‍यों का वेतन अथवा मानदेय बहुत ही कम है और यह 2,000/- रुपये से लेकर 15,000/- रुपये प्रति माह है ।
  5. पुलिस कर्मियों से पूर्व-सक्रिय कार्रवाई एवं सहयोग सुनिश्‍चित करने के लिए पुलिस संवेदीकरण की जरूरत है।
  6. महिलाओं को बहु आवश्‍यक न्‍याय प्रदान करने के लिए अधिक फास्‍ट ट्रैक न्‍यायालयों की जरूरत है ।
  7. लड़कियों के लिए अनिवार्य आत्‍म रक्षा प्रशिक्षण शुरू किया जाना चाहिए ताकि लड़कियां खतरों से अपनी रक्षा कर सकें ।
  8. लड़कियों के लिए अधिक आश्रय गृह आवश्‍यक हैं ।
  9. महिलाओं से संबंधित मुद्दों और कार्यक्रमों के लिए निधियों का समर्पित आगम सुनिश्‍चित करने के लिए राज्‍य बजट में जेंडर बजटिंग शुरू की जानी चाहिए ।

विचार-विमर्श के बाद, निम्‍नलिखित सिफारिशें उभर कर आईं :

  1. राष्‍ट्रीय महिला आयोग राज्‍य महिला आयोगों को समान स्‍तर प्रदान करके के मुद्दे को   राज्‍य सरकारों के साथ उठाए ।
  2. महिलाओं हेतु अधिक आश्रय गृहों का निर्माण / स्‍थापना करना । राज्‍य महिला आयोग राष्‍ट्रीय महिला आयोग को प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत करेंगे जो सीएसआस गतिविधियों के लिए उपलब्‍ध राशि तक पहुंच के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की सहायता लेगा ।
  3. राज्‍य महिला आयोग लोगों में और विशेषकर महिलाओं में जागरूकता विकसित करने के लिए सामग्री मुद्रित / प्रकाशित एवं तैयार करने में सहयोग करने के लिए राष्‍ट्रीय महिला आयोग को मीडिया योजनाएं प्रस्‍तुत करें ।
  4. पुलिस / न्‍यायायिक अकादमियों के सहयोग से राज्‍य महिला आयोग क्रियान्‍वयनकर्ता अधिकारियों के लिए क्षमता निर्माण / प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने के लिए राष्‍ट्रीय महिला आयोग को प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत करें ।

II) 10 जनवरी, 2014 को विक्रेताओं अथवा मा कैथेलके साथ विचार – विमर्श

राष्‍ट्रीय महिला आयोग ने 10 जनवरी, 2014 को इम्‍फाल में पूर्वोत्‍तर राज्‍यों के राज्‍य महिला आयोगों के अध्‍यक्षों के साथ-साथ इम्‍फाल के ईमा कैथेल के विक्रेताओं के साथ विचार विमर्श बैठक आयोजित की । ईमा कैथेल्स [माताओं का बाजार], विश्‍व भर में विख्‍यात महिलाओं की समानता एवं स्‍वतंत्रता का विशुद्ध प्रतीक है । इस बाजार में एक भी पुरुष कोई चीज बेचता हुआ नहीं मिलेगा । सब्‍जी से लेकर मछली तक, फल से लेकर बर्तनों तक, कपड़ों से लेकर हस्‍तशिल्‍प तक, और अन्‍य स्‍थानीय उत्‍पाद, विक्रेता सभी महिलाएं हैं । इस बाजार की विशिष्‍टता यह है कि यह स्‍थान केवल आहार एवं वाणिज्‍य का स्‍थान नहीं है अपितु सूचनाओं के आदान - प्रदान एवं सामाजिक – राजनैतिक प्रक्रमों का स्‍थान भी है ।  मणिपुर की महिलाएं प्रगतिशील हैं और उन्‍होंने जीरो स्‍तर से पूरे राज्‍य में बहुउद्देशीय बाजारों की स्‍थापना की और इन्‍हें ईमा कैथेल्स के रूप में जाना जाने लगा । ये बाजार महिलाओं को एक साथ आने का अवसर देते हैं और महिलाओं एवं समाज की समस्‍याओं पर आवधिक  चर्चा करने तथा प्राधिकारियों को लिखकर राज्‍यों के साथ इन्‍हें उठाने के लिए संयुक्‍त मंच   प्रदान करते हैं ।

मणिपुर की समाज कल्‍याण मंत्री कुमारी ऐ.के. मीराबाई देवी ने मुख्‍य अतिथि के रूप में अवसर की शोभा बढ़ाई । मुख्‍य सचिव श्री पी.सी. लॉमकुंगा, भा.प्र.से. और प्रधान सचिव, समाज कल्‍याण विभाग श्री बरुण मित्रा, भा.प्र.से भी उपस्‍थिति थे ।

इस अवसर पर राष्‍ट्रीय महिला आयोग के प्रकाशन हिंसा मुक्‍त घर, महिलाओं का अधिकार की द्विभाषी पुस्‍तक (मणिपुरी – अग्रेजी) का विमोचन किया गया ।

इम्‍फाल के ईमा कैथेल्स की महिला व्‍यापारियों ने बाद हुए विचार विमर्श में  निम्‍नलिखित समस्याएं एवं सुझाव प्रकट किए :-

  1. दुकानदारों का निर्बाध आगमन सुनिश्‍चित करने के लिए बाजार के चारों ओर की दीवार एवं तारबंदी हटा दी जाए ताकि बाजार चारों ओर से खुला हो । 
  2. शोचालयों में रिसाव हो रहा था और सरकार द्वारा इनकी मरम्‍मत की जरूरत है ।  
  3. तीनों बाजारों के लिए एक स्‍थान पर महिलाओं द्वारा संचालित बैंक की आवश्‍यकता है और इसे पहले तल पर खोला जाए जहां इसके लिए स्‍थान चिह्नित है ।
  4. नगरपालिका कर, जो 15/- रुपये प्रति माह था, को बढ़ाकर 90/- रुपये प्रति माह कर दिया गया है । इसे कम किया जाए ।
  5. बाजार की छत, जो रिसती है, की तुरंत मरम्‍मत कराई जाए क्‍योंकि जब बरसात होती है,  माल एवं सामान खराब हो जाता है ।
  6. ऋण उच्‍च ब्‍याज दर पर लिए जाते हैं और सरकार को बैंक को भुगतान की जा रही ब्‍याज पर छूट देनी चाहिए ।
  7. फेरीवाले बिक्रेता व्‍यवासय को हथिया रहे हैं और इसलिए इन पर प्रतिबंध लगाया  जाए ।
  8. बाजार में एटीएम लगाया जाए ।  
  9. पार्किंग स्‍थल को बाजार से दूर स्‍थानांतरित किया जाए ।
  10. सरकार तीनों ईमा कैथेल्स को सुपर बाजार में बदलना चाहती है लेकिल ईमा कैथेल्स की महिलाओं ने ‘नींद रहित रातें’ नामक वविरोध प्रदर्शन किया । वे कहती हैं कि वे सुपर बाजार के खिलाफ हैं और परंपरागत शैली के बाजार जारी रखना चाहती हैं ।  
  11. फोउओइबी बाजार की सचिव ने राष्‍ट्रीय महिला आयोग की अध्‍यक्ष, श्रीमती ममता शर्मा को ज्ञापन सोंपा ।  

तदोपरांत, ईमा कैथेल्स की महिलाओं के द्वारा उठाए गए सभी मुद्दों पर चर्चा करने और उनकी शिकायतों का शीघ्र निपटान करने का अनुरोध करने के लिए मणिपुर राज्‍य  सरकार के अधिकारियों के साथ बैठक आयोजित की गई । 

III)  11 जनवरी, 2014 को राष्‍ट्रीय महिला आयोग द्वारा मोरेह – एक सीमावर्ती शहर का दौरा 

राष्‍टीय महिला आयोग की अध्‍यक्ष श्रीमती ममता शर्मा, राष्‍टीय महिला आयोग की सदस्‍य श्रीमती निर्मला सामंत और राष्‍टीय महिला आयोग की सदस्‍य श्रीमती लालडिंगलानी साइलो ने भारत – म्‍यांमार सीमा पर सीमावर्ती गांव मोरेह के सामुदायिक महिला नेताओं से मुलाकात की । पूर्वोत्‍तर राज्‍यों के राज्‍य महिला आयोगों की अध्‍यक्ष उपस्‍थति थीं ।   

'साझा सत्र’ में मोरेह की महिला नेताओं ने उनके सामने आ रही निम्‍नलिखित समस्‍याओं के बारे में बताया :-  

  1. गर्भवती महिलाओं को कोई चिकित्‍सा सुविधा उपलब्‍ध नहीं है और इसलिए उन्‍हें इम्‍फाल जाना पड़ता है । कुछ महिलाओं के रास्‍ते में दम तोड़ने के बारे में बताया गया । 
  2. क्षेत्र में उपलब्‍ध पानी पीने योग्‍य नहीं है
  3. पहाड़ी जनजातीय परिषद, मेइतेइ परिषद आदि कानून संबंधी निर्णय लेती हैं और सामुदायिक एसोशिएशनें बलात्‍कार जैसे मुद्दों से निपटती हैं ।
  4. महिलाओं की समस्‍याओं और ड्रग, एचआईवी / एड्स आदि पर अनेक गैर सरकारी संगठन कार्य कर रहे हैं ।   
  5. मोरेह की अधिकांश महिलाएं कुली के रूप में कार्य करती हैं । उनके लिए नियेाजन की बेहतर अवसर होने चाहिए ।
  6. सरकार को आर्थिक उन्‍नयन के लिए कोई वैकल्‍पिक आजीविका प्रदान करनी चाहिए ।
  7. कूड़ा निस्‍तारण की कोई उचित सुविधा नहीं हैं और महिलाओं को स्‍वयं झाडू लगाना पड़ता है और कूड़ा साफ करना पड़ता है ।